लोगों को सेवा देने के बजाय अब व्यवसायिक प्रतिष्ठान के रूप में चलाने का सोच रहे निगम को : जितेंद्र

लोगों को सेवा देने के बजाय अब व्यवसायिक प्रतिष्ठान के रूप में चलाने का सोच रहे निगम को : जितेंद्र

आसनसोल : आसनसोल नगर निगम के पूर्व मेयर तथा भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने संवाददाता सम्मेलन किया. उन्होंने आसनसोल नगर निगम के दो फैसलों पर ऐतराज जताते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि निगम पदाधिकारी लोगों को सेवा देने के बजाय अब निगम को व्यवसायिक प्रतिष्ठान के रूप में चलाने का सोच रहे हैं. जितेंद्र ने कहा कि जब वह मेयर थे, तब काली पहाड़ी में मां घागर बुड़ी मंदिर परिसर में मैरिज हॉल का निर्माण किया गया था, इस मैरिज हॉल को बनाने का मकसद था कि जो भी आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोग हैं और जो लोग मां घगरपुरी मंदिर में शादी ब्याह करवाते हैं, उनको सिर्फ 500 रुपए में यह मैरिज हॉल उपलब्ध कराया जाए. लेकिन अभी सुनने में आ रहा है कि निगम द्वारा उसे एक निजी व्यक्ति को दिया गया है जो उसे मैरिज हॉल के ऐवज में 20 से 25 हजार रुपए किराए के तौर पर लेगा. अगर किसी में यह आर्थिक क्षमता है कि वह 25000 देकर मैरिज हॉल बुक करेगा तो वह अपने संतान की शादी मंदिर में क्यों करेगा . रविंद्र भवन के पीछे निगम द्वारा बनाए गए गीतो वितान गेस्ट हाउस को लेकर भी जितेंद्र ने एतराज जताते हुए कहा कि उनके जमाने में इस गेस्ट हाउस को बनाया गया था,  इसका मकसद था कि निगम इस गेस्ट हाउस को चलाएगा और बेहद कम राशि के बदले यहां पर लोगों को रहने की सुविधा प्राप्त होगी. लेकिन अब सुनने में आ रहा है कि वहां पर एक निजी व्यक्ति के द्वारा होटल तथा रेस्टोरेंट बनाया जाएगा और उसे होटल तथा रेस्तरां के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने इस पर भी कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि वह गेस्ट हाउस जहां पर स्थित है, उसके पास ही रविंद्र भवन है कॉफी हाउस है, आर्ट गैलरी है. उस जगह का एक अपना इतिहास है, लेकिन उसे व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए निजी हाथों में सौंपा जाना बेहद निंदनीय है. निगम के मेयर विधान उपाध्याय ने कहा कि निसंदेह मां घगरपुरी मंदिर के पास जो मैरिज हॉल बनाया गया था, वह एक अच्छा प्रयास था. उस मैरिज हॉल के रखरखाव में भी खर्च है. उसे देखते हुए बेहद कम कीमत पर लोगों को उसे मैरिज हॉल को इस्तेमाल करने के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है. गीतो वितान का भी कायाकल्प किया जा रहा है. गेस्ट हाउस पूरी तरह तैयार नहीं है, उसमें बहुत काम है. एक से डेढ़ करोड़ रुपए की आवश्यकता है, जो फिलहाल निगम के पास नहीं है. इस वजह से वहां पर लीज पर व्यवसायिक तौर पर रेस्तरां की अनुमति दी गई है.