कोयला तस्करी मामले में तीसरी बार भी नहीं हो पाया आरोप तय

कोयला तस्करी मामले में तीसरी बार भी नहीं हो पाया आरोप तय
कोयला तस्करी मामले में तीसरी बार भी नहीं हो पाया आरोप तय

आसनसोल : कोयला तस्करी मामले में आरोप तय करने की प्रक्रिया में शनिवार को आसनसोल सीबीआई कोर्ट में एक बार फिर पूरी नहीं हो पायी। इस सुनवाई को मिलाकर ऐसा तीसरी बार हुआ है, जब आरोप तय नहीं हो पाया। लेकिन इस बार जज ने आरोप तय करने की प्रक्रिया पूरे दो महीनों के लिए आगे कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई पूजा छुट्टियों के बाद 14 नवंबर को तय की गई है। सीबीआई की विशेष अदालत के जज ने सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। जज ने इस मामले में सीबीआई को अंतिम आरोप तय करने का निर्देश दिया है। वहीं जज ने इस मामले में मुख्य आरोपी अनुप माजी उर्फ लाला को सीबीआई द्वारा समन किये जाने पर भी गुस्सा जताया। इस दौरान जज ने सीबीआई के पीपी राकेश कुमार से पूरा मामला जानना चाहा। लेकिन वह कुछ स्पष्ट नहीं कह सके। मालूम हो कि इससे पहले यानी आरोप तय करने की पहली तिथि को करीब 43 आरोपितों में से 2-3 आरोपितों के मौजूद नहीं रहने के कारण दूसरी तिथि तय की गयी थी। इसके बाद दूसरी तिथि के पहले सीबीआई ने छापामारी अभियान तेज किया और कोयला तस्करी के मामले में 43 आरोपितों की सूची में करीब 6-7 नाम और जुड गए। मामले का मुख्य आरोपी विनय मिश्रा अभी भी फरार है। ईसीएल के एक और सुरक्षा जवान की मौत हो गई है। कोयला माफिया गुरुपद मांझी ईडी के एक मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। नतीजतन, 47 आरोपियों को आसनसोल सीबीआई अदालत में पेश होना था। उनमें से 2 अदालत में नहीं थे। हालांकि कोयला माफिया अनुप मांझी उर्फ लाला, जयदेव मंडल, नारायण खड़के अदालत में मौजूद थे। जांच में आरोप तय करने को लेकर कोर्ट ने कई बार सीबीआई को फटकार लगाई थी, लेकिन सभी के उपस्थित नहीं रहने के कारण प्रभार के गठन में फिर देरी हो गयी। तीसरी तिथि यानी आज की तारिख दी गयी। लेकिन आज भी किन्हीं कारणों से आरोप तय नहीं हो पाया। अब विभिन्न त्योंहारों के बाद इन सभी आरोपितों को पुनः सीबीआई की विशेष अदालत में पेश होना होगा और उस दिन संभवतः सीबीआई आरोप तय कर सकें। मालूम हो कि 2020 में कोयला तस्करी मामले की जांच सीबीआई ने शुरू की थी। जब राज्य के विभिन्न रेलवे साइडिंग से कोयला चोरी का मामला सामने आया तो पहले आयकर विभाग, फिर सीबीआई ने कोयला घोटाले की जांच शुरू की। लाला के घर, कार्यालय की तलाशी ली गई थी। संपत्ति जब्त कर ली गई थी। लाला के साथी माने जाने वाले गुरुपद मांझी सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि तीनों को जमानत मिल गई, लेकिन गुरुपद अभी भी दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैद हैं। वहीं उसके ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय में सहयोग करने वाले रत्नेश वर्मा कई दिनों तक सीबीआई से बचता रहा। लेकिन सीबीआई की जांच को देख आखिरकार उसने आत्मसमर्पण किया और फिलहाल वो जमानत पर है। अब सभी की निगाह 14 नवंबर 2024 को होने वाली सुनवाई पर है।